6 फरवरी, 2020 को घोषित अपनी छठवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने कुछ नये प्रयोग ऐसे किये हैं जिनसे अर्थव्यवस्था में कर्ज का प्रवाह बढ़े। रिजर्व बैंक की मंशा यह है कि अर्थव्यवस्था में तेजी आये, पर इसके लिए रिजर्व बैंक ने नकदी आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में कोई कटौती नही की है सीआरआर को हिंदी में नकदी आरक्षित अनुपात भी कहते हैं, बैकों को अपने डिपाजिट का 4 प्रतिशत नकद के तौर पर रिजर्व बैंक के पास रखना होता है, जिस पर कोई ब्याज रिजर्व बैंक से ना मिलता। जितना सीआरआर ज्यादा होगा, उतने ही बैंकों के ज्यादा फंड रिजर्व बैंक के पास होंगे, जितना कम सीआरआर होगा, उतना ही ज्यादा फंड बैंकों के पास होंगे, आगे कर्ज आदि देने के लिए। रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि 31 जनवरी 2020 से 31 जुलाई 2020 के बीच बैंक जो रिटेल कर्ज -आटो कर्ज, हाऊसिंग कर्ज और लघु उद्योगों के कर्ज के रुप में देंगे , वो सीआरआर से मुक्त होंगे। यानी इन चुनिंदा उद्योगों को ज्यादा कर्ज देने की प्रेरणा रिजर्व बैंक ने बैंकों को दी है
ANCHOR: आलोक पुराणिक GUESTS: अनिल कुमार उपाध्याय, पूर्व बैंकिंग अधिकारी निमिष कुमार, वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार
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